June 23, 2025 12:32 am

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भाकियू अराजनैतिक बासमती को बचाने के लिए चलाएगी विशेष अभियान, किसानों को किया जाएगा जागरूक

मुजफ्फरनगर(
भाकियू अराजनैतिक द्वारा बासमती निर्यात प्रोत्साहन मेरठ, बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के साथ बासमती धान की विलुप्त होती पहचान को वापस नाम दिलाने के लिए कार्य करेगी। इस सम्बंध में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक एवं पीजेंट वेल्फेयर एसोसिएशन, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण मिलकर कार्य करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत से बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देना और उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक किसानों को कलस्टर निर्माण के प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाएगी। राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने बताया कि किसानों को अनुदान एवं बाजार भाव से 10 प्रतिशत अधिक दाम मिले इसके लिए तीनों संस्था किसानों एवं चावल निर्यातक कंपिनयों के किसानों का अनुबंध कराने में भूमिका निभाएगी। भाकियू अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक,पीजेंट वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान, अश्विन चौधरी कृषि सलाहकार ने मेरठ में बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान सहायक निदेशक रितेश शर्मा से मिलकर भविष्य की योजना तैयार की है। अब इसको किसानों के बीच लागू कराने के प्रयास शुरू किए जाएंगे।
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बासमती निर्यात प्रोत्साहन मेरठ के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं
– डीएनए फिंगरप्रिंटिंग: बासमती चावल की किस्म की पहचान के लिए डीएनए फिंगरप्रिंटिंग करना।
– भौतिक गुणवत्ता परीक्षण: बासमती चावल के भौतिक गुणों के आधार पर परीक्षण करना।
– कीटनाशक अवशेष और भारी धातुओं का परीक्षण: रियायती दरों पर बासमती चावल के नमूनों में कीटनाशक अवशेषों और भारी धातुओं की जांच करना।
– डेटा संग्रह: किसानों के खेतों से नमूने लेकर कीटनाशक अवशेषों पर डेटा तैयार करना।
– अधिकार प्राप्त केंद्र: डीजीएफटी द्वारा बासमती चावल के नमूनों के किस्म की पहचान के लिए अधिकृत केंद्र के रूप में कार्य करना।
– बासमती ब्रीडर/फाउंडेशन बीज का उत्पादन करना।
– किसानों को पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1509 और पूसा बासमती 1692 जैसी उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराना, जिससे किसान बीज उत्पादन क्षमता का निर्माण कर सकें और व्यापार में बीज आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकें।

* किसान जागरूकता और क्षमता निर्माण:
* निर्यात—उन्मुख बासमती धान की खेती के लिए उन्नत पैकेज प्रथाओं (स्रंू‘ंॅी ङ्मऋ स्र१ंू३्रूी२) के लिए प्रदर्शन और प्रशिक्षण आयोजित करना।
* प्रति वर्ष खरीफ के मौसम में सात बासमती उत्पादक राज्यों (जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में किसानों और कृषि विभाग के विस्तार अधिकारियों के लिए कार्यशालाएं आयोजित करना।
* किसानों को बासमती धान की खेती में रसायनों और उर्वरकों के सही उपयोग के बारे में जागरूक करना, ताकि उच्च गुणवत्ता वाले बासमती का उत्पादन हो सके और निर्यात को बढ़ावा मिले।
* ट्रेसिबिलिटी और जीआई टैग का प्रमाणीकरण:
* बासमती चावल के जीआई टैग के प्रमाणीकरण और पैकेज पर बासमती लोगो के उपयोग की निगरानी करना, जिसमें दस्तावेजी साक्ष्य और डीएनए परीक्षण द्वारा पहचान की पुष्टि शामिल है।
* किसानों के पंजीकरण, मिलों और व्यापार से यादृच्छिक नमूने एकत्र करना और मोदीपुरम लैब में उनका परीक्षण करना।
* अनुसंधान और विकास:
* बासमती चावल की नई अधिसूचित किस्मों को शामिल करने के लिए डीएनए परीक्षण प्रोटोकॉल के विस्तार के लिए सीडीएफडी, हैदराबाद के साथ काम करना।
* जैविक बासमती चावल के हिस्से को बढ़ाने के लिए हितधारकों के साथ कार्यशालाएं आयोजित करना।
संक्षेप में, बासमती निर्यात प्रोत्साहन मेरठ का लक्ष्य बासमती चावल की गुणवत्ता को नियंत्रित करना, किसानों को उन्नत कृषि पद्धतियों और बीजों के बारे में शिक्षित करना और भारत से बासमती चावल के निर्यात को सुविधाजनक बनाना है, जिससे वैश्विक बाजार में इसकी मांग और किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

 

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